तो दोस्तो आज हम बात करने जा रहे है दशहरे की जिसको हम विजयदशमी के नाम से भी जानते है। मै बस इतना ही कहना चाहूंगा की लोग विजयदशम...
तो दोस्तो आज हम बात करने जा रहे है दशहरे की जिसको हम विजयदशमी के नाम से भी जानते है।
मै बस इतना ही कहना चाहूंगा की लोग विजयदशमी का सही मतलब समझ सके वैसे तो आप सभी लोग सब कुछ जानते है सब कुछ समझते है लेकिन ये सब कुछ जो भी आप जानते है ये सब कुछ बस उसी दिन के लिए होता है जिस दिन वो त्योहार या महोत्सव होता है उसके अगले दिन फिर वही पुरानी जिन्दगी सब कुछ भूल कर अपने अपने ढंग से बेहूदा की तरह बर्बाद करते रहते है।
अक्सर मै यही सोचता हूँ न जाने लोग आज कल इतना कहा व्यस्त हो चले है उन्हें खुश रहने के लिए भी समय निकालना पड़ता है
आज कल तो लोग त्योहारो को बस मस्ती की तरह ताल देते है उसके बारे में जानना तो दूर उसके बारे में सुनना तक पसंद नहीं करते है।
तो दोस्तो आज हम बात करने जा रहे है "विजयदशमी" की - लोग इसके पीछे विभिन्न कहानिया कई रहस्यमयी बाते बताते है जो सच भी थी। लेकिन उनसे कोई सीख कुछ नहीं लेता क्यूंकि आज कल का ट्रेन्ड तो मूवीज है हम अपने आस पास भी देख सकते है कैसे लोग मूवीज से इतना प्रभावित रहते है आज कल के बच्चो को ही देख लो हर कोई सुपरमैन, स्पाइडर मैन बना फिर रहा है। आज कल के माँ बाप भी इतना व्यस्त रहते है की वक़्त ही नहीं मिलता की कुछ सीखा पाए।
तो दोस्तो वापस आते है विषय की चर्चा पर - दशहरा पर चूकि दशहरा पर्व पर असत्य पर सत्य की जीत हुयी थी बुराईयो का नाश हुआ था और धर्म की जीत हुयी थी। लेकिन आज कल ये बस पुतलो के रावण जलाने के लिए जाना जाता है और लोग भी तो देखो इसका लुफ्त उठाने के लिए हर वर्ष इसकी पुतले के रावण को जलाते है लेकिन अपने अंदर के रावण को नही।
अक्सर लोग लोगो की बुरी चीजे पर बहुत जल्दी गौर करते है न की उसकी अच्छाई को बस लोगो के अंदर कमिया खामिया ढूंढ़ते है इसको बंद करना पड़ेगा अपने अंदर की कमियों को देखे न की दुसरो की
वैसे तो आज कल सभी लोग बहुत ज्यादा दिमाग वाले हो गए है.. सब बस एक दूसरे की अच्छाई , मासूमियत का फायदा उठाने की सोचते है हां ये सच है सभी लोग आप भी।
दोस्तो आशा करता हूं आपको कुछ समझ आया होगा आपके समय की कदर करते हुए विषय को यही समाप्त करते है ,कभी कभी कुछ बाते इंसान को बदल देती है आप भी अपने अंदर के रावण को बदलिए।
मै बस इतना ही कहना चाहूंगा की लोग विजयदशमी का सही मतलब समझ सके वैसे तो आप सभी लोग सब कुछ जानते है सब कुछ समझते है लेकिन ये सब कुछ जो भी आप जानते है ये सब कुछ बस उसी दिन के लिए होता है जिस दिन वो त्योहार या महोत्सव होता है उसके अगले दिन फिर वही पुरानी जिन्दगी सब कुछ भूल कर अपने अपने ढंग से बेहूदा की तरह बर्बाद करते रहते है।
अक्सर मै यही सोचता हूँ न जाने लोग आज कल इतना कहा व्यस्त हो चले है उन्हें खुश रहने के लिए भी समय निकालना पड़ता है
आज कल तो लोग त्योहारो को बस मस्ती की तरह ताल देते है उसके बारे में जानना तो दूर उसके बारे में सुनना तक पसंद नहीं करते है।
तो दोस्तो आज हम बात करने जा रहे है "विजयदशमी" की - लोग इसके पीछे विभिन्न कहानिया कई रहस्यमयी बाते बताते है जो सच भी थी। लेकिन उनसे कोई सीख कुछ नहीं लेता क्यूंकि आज कल का ट्रेन्ड तो मूवीज है हम अपने आस पास भी देख सकते है कैसे लोग मूवीज से इतना प्रभावित रहते है आज कल के बच्चो को ही देख लो हर कोई सुपरमैन, स्पाइडर मैन बना फिर रहा है। आज कल के माँ बाप भी इतना व्यस्त रहते है की वक़्त ही नहीं मिलता की कुछ सीखा पाए।
तो दोस्तो वापस आते है विषय की चर्चा पर - दशहरा पर चूकि दशहरा पर्व पर असत्य पर सत्य की जीत हुयी थी बुराईयो का नाश हुआ था और धर्म की जीत हुयी थी। लेकिन आज कल ये बस पुतलो के रावण जलाने के लिए जाना जाता है और लोग भी तो देखो इसका लुफ्त उठाने के लिए हर वर्ष इसकी पुतले के रावण को जलाते है लेकिन अपने अंदर के रावण को नही।
अक्सर लोग लोगो की बुरी चीजे पर बहुत जल्दी गौर करते है न की उसकी अच्छाई को बस लोगो के अंदर कमिया खामिया ढूंढ़ते है इसको बंद करना पड़ेगा अपने अंदर की कमियों को देखे न की दुसरो की
वैसे तो आज कल सभी लोग बहुत ज्यादा दिमाग वाले हो गए है.. सब बस एक दूसरे की अच्छाई , मासूमियत का फायदा उठाने की सोचते है हां ये सच है सभी लोग आप भी।
"रावण" को जलाने से समाज मे पड़ी बुराईया नहीं जलती है दोस्तो सोचो समझो और अपने अंदर के रावण को जलाओ यकीन मानिये हर रोज दशहरा होगा हर रोज दिवाली।
दोस्तो आशा करता हूं आपको कुछ समझ आया होगा आपके समय की कदर करते हुए विषय को यही समाप्त करते है ,कभी कभी कुछ बाते इंसान को बदल देती है आप भी अपने अंदर के रावण को बदलिए।