कहानी,विशाल भारद्वाज,इंजीनियरिंग इन लव
जैसे जैसे इंजीनियरिंग का युद्ध आगे बढ़ता जा रहा था
इंजीनियरिंग की शस्त्र विद्यायें बढती जा रही थी कभी (VLSI Design) वी एल एस आई
डिजाईन के बाण तो कभी सिगनल एंड सिस्टम के बाण गुरुओ द्वारा सभी को इन बाणो में
पारंगत किया जा रहा था जैसे मोहम्मद गौरी अजमेर पर फिर से चडाई करेगा और अब हमें
पृथ्वी राज जी की सेना में भरती होना है।
और इस दौरान कैन्टीन में और कॉलेज के बाहर राजू की टपरी पर
इश्क़ वाली चाय का इश्क़ भी बढ़ता जा रहा था और सेजल से फोन पर बात करने का समय भी
पहले से ज्यादा बढ़ता जा रहा था। पर अभी तक हम दोनों के इस रिश्ते का नाम सिर्फ
दोस्ती था।
तभी अचानक पॉटर वाली ट्यून बजने लगी, वो फोन पर रिंगटोन
पॉटर की इस लिए लगाये थे क्यूँकि इश्क़ वाली चाय, सेजल की मुस्कान के साथ साथ पॉटर
और ग्रेंजर के भी दीवाने थे। फोन सेजल का आ रहा था।
“हेल्लो”
“क्या कर रहे हो”
“कुछ नहीं बस पॉटर सीरीज देख रहा था”
“हे भगवान ! कितने बार देखोगे उबते नहीं हो”
“जो मुझे पसंद होता है मै उससे कभी नहीं उबता, तुमसे भी कभी नहीं बोर होऊंगा”
“अच्छा ऐसी बात है पर मैंने अभी भी हाँ
नहीं कही है”
“तो कह दोगी मुझे कोई जल्दी नहीं है”
“कब तक कोशिश करोगे”
“जब तक जीत ना जाऊ”
“अच्छा”
“आज बीस दिन हो चुके है तुम्हारी ना सुनते सुनते” हँसते हुए
मैंने बोला।
“हाँ तो, मै तो नहीं कह रही हू की कोशिश
करो”
“पर मुझे तो करना है ना मै तुमसे प्यार करता हू”
“अच्छा ! और बताओ क्या हो रहा है”
“कुछ नहीं बस पिक्चर खत्म करके बैठे है”
ये जो फीलिंग होती है ना दोस्ती और प्यार के बीच वाली इसकी
तुलना हम किसी से नहीं कर सकते है। ये घर बैठे बैठे ही चार धाम के दर्शन करने जैसी
होती है जिसमे एक भी रुपया खर्च ना हुआ हो और पूरा भारत दर्शन भी हो गया हो। और हर कोई जिसने
प्यार किया होता है कभी ना कभी इन फीलिंग से हो कर जरुर गुजरता है।
“अच्छा ये बताओ तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड थी?”
“सच बताऊ या झूठ?”
“जैसा तुम चाहो”
“हाँ थी तो पर वो ग्यारवी में थी और उस वक़्त मै बहुत छोटा
था प्यार व्यार को नहीं समझता था बस बाकी दोस्तों की गर्ल फ्रेंड थी तो उन लोगो ने
फोर्स किया तो मैंने भी बना ली या यू कहे की कूल(Cool) दिखने के लिए बनाई थी”
“अच्छा , क्या नाम था उसका?”
“नाम , सोनाली सक्सेना था”
“वाह ! तो
प्यार कहा तक परवान चड़ा?” हँसते हुए उसने पूछा”
“अरे ! बस एक बार
पी.सी.ओ में किस(चुम्बन) तक”
“ओह हो ! किस भी किये हो”
“अरे यार तुम तो मजे लेने लगी वो
उस वक़्त स्थति शायद उस प्रकार की होगी की मै रोक नहीं पाया होंगा अपने आप को”
“अच्छा तो फिर प्यार कैसे हुआ?”
“अरे ओ प्यार की पुजारिन, प्यार नहीं हुआ था बहुत लम्बी कहानी है
इसके पीछे”
“तो बताओ मै फ्री हू”
वही बात है ना दुनिया की ज्यादातर लडकिया प्यार की कहानी
सुनने के लिए बहुत उत्सुक रहती है कही से ब्रेकअप या पैचअप की चटपटी कहानिया इनको
सुनाता रहे बड़े ध्यान से सुनती रहेंगी जैसे कोई मूवी चल रही हो।
“अरे यार रहने दो सच में बहुत लम्बी कहानी
है ”
“ना मुझे तो सुनना है”
“अच्छा ठीक है तो सुनो”
“ये कहानी शुरू हुयी थी हाई स्कूल के एग्जाम से उस वक़्त मै
मेरा एक दोस्त अंकुर ज्यादातर छत पर गाइड ले कर टहल हुए पढ़ते थे और पता नहीं टहलने से बहुत जल्दी याद
होता था और साथ ही एक दुसरे से सुन भी लिया करते थे एक टाइप से कम्पटीशन होता था
एक दुसरे से उस वक़्त। अंकुर की गर्ल फ्रेंड पहले से थी जहा वो रह रहा था उसी घर के
बराबर में एक फैमिली रहती थी और उनकी एक लड़की जिसका नाम सौम्या था वो अंकुर की गर्ल फ्रेंड थी। तो अंकुर
ज्यादातर पढाई करते करते अपने छत के कोने में जाकर उससे आँखों में बाते करता रहता
था और मै उस वक़्त किताबो से इश्क़ लड़ता था और वो कब टहलते टहलते उस कोने पर पहुच
जाता था पता ही नहीं चलता था।
तभी हमारी छत के सामने वाली छत जो
की करीब इतनी दूर होगी की कोई भी इशारो से एक दुसरे से बात कर सकता था पर टहलते
हुए एक लड़की को देखा था। दुर से देखने में ऐसा लग रहा था
की वो भी हमें ही देख रही है पर उस दिन हम अपने पेपर के बारे में बाते करते हुए
अपने अपने घर चले गए अंकुर का घर भी बराबर वाले घर में ही दूसरी तरफ था।”
“अच्छा”
“और ऐसे ही अगले दिन उसके अगले दिन
फिर उसके अगले दिन हमने उस लड़की को वही खड़े होकर हमें देखते हुए देखा। तब तक अंकुर ने भी उसको नोटिस
कर लिया था और मुझे हाथ से इशारा करने के लिए बोल रहा था पर उस वक़्त तक मै सिर्फ
पढाई पर ही ध्यान दे रहा था। एक दो दिन जब
अंकुर शहर से बाहर गया हुआ था और वो उस दिन भी खड़े हो कर देख रही थी और जब तक मै
नीचे नहीं जाता वो भी नहीं जाती थी।”
“अच्छा”
“फिर एक दिन अंकुर के हिम्मत बढाने
के बाद मैंने भी निश्चय किया की आज इशारे से हेल्लो करके रहूँगा और उस शाम को
मैंने जैसे ही हाथ से इशारा किया तो तुरंत वहा से भी इशारा आ गया जैसे वो इन्तजार
कर रही थी की कोई ग्रीन सिगनल दे फिर वो बात आगे बढ़ाये। फिर कुछ दिन तक वो इशारो से
हेल्लो करके बस देखती रहती थी और एग्जाम खत्म होते ही मै भी छत पर बस उसको देखने
लगा।”
“अच्छा”
“अब कल बताऊ बहुत लम्बी कहानी है यार”
“नहीं अभी पूरी करके जाना”
“ठीक है”
“फिर मेरे मोहोल्ले में एक लड़का रहता था जहा वो जॉब करता था
वहा पास में एक लड़की रहती थी और वो लड़की सामने वाली लड़की की दोस्त थी। जैसा की
मुझे उस लड़के ने बताया था। तो उस लड़की ने मेरा नंबर माँगा होगा उस लड़के से और उसने
दे दिया।
“अच्छा”
“फिर मै अचानक से ४-५ दिनों के लिए
मामा के घर चले गया शहर के बाहर। तभी एक कॉल आई उधर से वो छत वाली लड़की
बोल रही थी। की मै सोनाली बोल रही हू फिर उसने मुझसे फ्रेंडशिप के लिए बोला। और
मैंने भी हाँ कह दिया और फिर वो हमेशा २ बजे कॉल करने लगी। २ बजे इसलिए की वो कोई
कोचिंग जाती थी तो २ बजे पी.सी.ओ. से कॉल करती थी”
“अच्छा पी.सी.ओ. वाला प्यार” सेजल ने
हँसते हुए कहा।
“घंटा प्यार ! सुन तो ले”
“अच्छा सुनाओ”
“फिर ऐसे ही बात करते करते १०-१५ दिन हुए होंगे उसने
प्रोपोज कर दिया की मै तुमसे प्यार करती हू।”
“हाहाहा, अच्छा उसने प्रोपोज किया”
“और क्या”
“अच्छा फिर”
“फिर उस समय मेरे सभी दोस्तों की
गर्ल फ्रेंड थी और दोस्त मुझे भी फोर्स कर रहे थे गर्ल फ्रेंड् बनाने को ताकि साथ
में गर्ल फ्रेंड के साथ घूम सके। तो जब उसने प्रोपोज किया तो मैंने भी
कूल बनने के चक्कर में हाँ कह दिया”
“अच्छा”
“वो हमेशा एक ही पी.सी.ओ. से फोन करती थी शायद वहा बात कर
रखी हो बात करने की। फिर एक दिन हम लोग बरेली गार्डन में मिलने गए। अब तक बात तो
बहुत हो चुकी थी पर कभी मिले नहीं थे और ना ही उस वक़्त व्हाट्स एप्प वैगरह था जो
विडियो कॉल तो सुना भी नहीं था उस वक़्त तो सिर्फ आवाज ही सुनी थी तब तक। उसके बाद
एक बार जब उसने पी.सी.ओ. से फोन किया और मिलने बुलाया तो मै उसी पी.सी.ओ. में गया
था जहा से वो हमेशा बात करती थी वो हम दोनों के घर से ३ किलोमीटर दूर था तो मै बात
करते करते पैदल ही पहुच गया। और पी.सी.ओ. में वो अकेली थी एक दुकान टाइप थी पर गली
में थी तो बहुत कम लोग ही वहा से गुजरते थे”
“ओह सही है आगे बताओ”
“तुम्हे बहुत मजा आ रहा है”
“हाँ आगे तो बताओ”
“अच्छा”
“फिर हम लोग वही बाते करने लगे और ५ मिनट बाद पता नहीं कैसे
एक दुसरे को किस(चुम्बने) करने लगे। हालाँकि ऐसा कोई प्लान नहीं था ना ही मै कुछ
ऐसा सोच कर गया था। पर पता नहीं क्या हो गया था उस वक़्त की रोक ही नहीं पाया मै
अपने आप को”
“हम्म्म”
“फिर कॉलेज शुरू हो गए और मैंने
साइंस ले रखी थी और मुझे लगने लगा की मेरी पढाई पर बहुत असर पड़ रहा है और उस वक़्त
पढाई मेरा सब कुछ थी पढाई से खेल नहीं करता था। तो मैं खुद बात करना कम करने
लगा। फिर मैंने सोचा उसको क्लियर बता देता हू क्यूँकि उसका हाईस्कूल बोर्ड था उसका
भी पढाई में नुक्सान हो रहा था। तो मैंने उसको बोला की मुझे पढाई करनी है तो मै बात नहीं कर सकता। पर वो
रोने लगी फिर और नौटंकी करने लगी और मेरी पढाई की वाट लगने लगी थी।
“अच्छा”
“फिर उसने एक बार इतना डरा दिया की क्या बताऊ यार मेरी फट
गयी थी। मुझसे बोली की छत से कूद जाउंगी वैगरह वगैरह मेरी तो हालत ख़राब हो गयी थी
ये सुनकर मैंने उस वक़्त सोचा मेरी ज़िन्दगी ख़राब हो जाएगी अगर इसने कुछ कर लिया तो।
तभी मैंने गुस्से में उसके पापा को फोन कर दिया और उनको सब बताया”
“फिर”
“उसके बाद उसके पापा ने मुझे घर पर बुलाया। तो मै अंकुर को
लेकर उसके घर गया अगले दिन। वहा एक लड़के ने गेट खोला उसका कोई
भाई तो था नहीं जैसे मै जानता था उस वक़्त तक तो शायद उसका चचेरा भाई वगैरह हो सकता
है।
हम दोनो डर गए थे अब गेट बंद किया है इन्होने अब पेलेंगे अन्दर सही से हमने सोचा।
तभी उसके पापा ने बैठने को बोला और पूछा की क्या बात है मैंने उनको सब कुछ बताया
तो अंकल ने बोला की ठीक है आज के बाद वो कॉल नहीं करेगी अगर किया तो मुझे बताना और
अगर तुम्हारी कॉल आई तो मै बताऊंगा। और फिर हम वापस आ गए।
“अच्छा तो ये कहानी थी”
“अरे इसके आगे भी है”
“क्या”
“फिर एक महीने बाद मैंने उसको एक दुसरे लड़के के साथ बाईक पर
जाते देखा।”
“हाँ तो भाई होगा”
“नहीं अगर भाई होता तो वो घर पर ही बैठती ना पर वो घर से
थोड़ी दूर जाकर बैठी थी वो भी मुंह पर कपडा बांधे।”
“हाहाहा ! हाँ तो भाई नहीं होगा”
“और क्या मैंने सोचा कहा मेरे लिए छत से कूद रही थी एक
महीने पहले आज किसी और के साथ”
“मतलब तुम बच गए”
“हाँ”
“चलो अब
हम सोने जा रहे नींद आ रही है गुड नाईट”
“ठीक है गुड
नाईट”
(इस कहानी का किस्सा इंजीनियरिंग इन लव पुस्तक से लिया गया है.....)
लेखक : विशाल भारद्वाज (वैधविक)
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