वैसे परिचय की बात करें तो इतना कुछ खास नहीं है। पर नाम वैधविक है और बस लिखना और घूमना पसंद है। पढ़ाई की बात करें तो बचपन से यही करते आ रहें है। पढ़ाई में रुचि तो खूब थी और है लेकिन पढ़ाई और काम के साथ साथ सब कुछ ही करते रहते है।
शिक्षा क्या और कहां से प्राप्त की?
बारवीं तक पूरी पढ़ाई बरेली, उत्तर प्रदेश से ही हुई थी उसके बाद अणुविधुतकीय अभियांत्रिकी में तीन वर्षीय डिप्लोमा राजकीय प्रद्यौगिकी संस्थान शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश से करने के उपरांत हिन्दुस्तान कम्प्यूटर लिमिटेड (HCL) सहायक अभियंता (२०१५-२०१७) के रूप में दो वर्ष कार्यभार संभाला। इसी के साथ स्नातक (विषय : समाजशास्त्र , गणित, अंग्रेजी , राजनीति शास्त्र) भी कर लिया। हिन्दुस्तान कम्प्यूटर लिमिटेड के पश्चात् ओप्पो मोबाइल इंडिया लिमिटेड में बतौर सेवा प्रबंधक के रूप में दो वर्ष(२०१७-२०१९) कार्यभार संभाला।
लिखने की शुरआत कैसे हुई?
लिखने की शुरआत की बात करें तो स्कूल के दिनो से ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था पर शुरुआत में लिखने की कला को नजरंदाज करते गए फिर भी मैट्रिक चलते चलते विद्यालय की एक लेखन प्रतियोगिता में भाग लेने के कारण दो वर्ष तक प्रति माह सहायक राशि ५०० रुपए प्रतिमाह एवम् विद्यालय छोड़ने पर १०००० रुपए पुरुस्कार स्वरूप प्राप्त किए। हालांकि ये धनराशि इतनी बढ़ी नहीं थी फिर भी उस समय के हिसाब से बहुत ही उत्साह एवम् आत्मविश्वास भरने के लिए काफी थी। ये लिखने से मेरी पहली कमाई थी जिसके तत्पश्चात मुझे लगा था की मैं लिख भी सकता हूं।
लिखने से कमाई और जीवन यापन संभव?
अक्सर लोग पूछते है की भाई किताबो से कितना कमा लेते हो? इस पर बस मेरा एक ही जबाब होता है की भाई किताबें एक बीज की तरह है कभी कभी इसका फल मिलने में समय लग जाता है तो कभी ये बीज बहुत बड़ा वृक्ष बन जाता है। मैं बस बीज लगा रहा हूं देखते है वृक्ष बनता है या नहीं। जीवन यापन की बात करें तो ये साहित्य के क्षेत्र में इतना आसान नहीं होता है। कभी कभी वर्षो लग जाते है लोगो को साहित्य के क्षेत्र में जगह बनाने में।
प्रकाशित पुस्तकें ?
अभी तक की प्रकाशित पुस्तकों की बात करूं तो कोरोना मैन (कहानी) मेरी प्रथम ई बुक थी जिसको मैंने मजाक मजाक में एमेजॉन किंडल पर पब्लिश की थी हालांकि वो एक लघु कहानी थी जिसको बस हसीं मजाक में पब्लिश कर दी थी। उसका अच्छा रिस्पॉन्स मिला(हालांकि कहानी साधारण सी है संभावता किताब के शीर्षक के कारण अच्छा रिस्पॉन्स मिला हो) और आत्मविश्वास बढ़ता गया। इससे पहले तक सिर्फ कविताएं , सामाजिक आलेख आदि ही लिखते थे पर इस किताब की सफलता के बाद और कहानियां लिखना शुरू की इसके बाद इंस्टाग्राम वाला इश्क़ की कहानी पूरी की तत्पशात इंजीनियरिंग इन लव(उपन्यास) जिसमें की मैने अब तक की सबसे ज्यादा मेहनत और लगन से लिखी। इंस्टाग्राम वाला इश्क़ एवम् इंजीनियरिंग इन लव पेपरबैक एवम् ई बुक दोनो ही फॉर्मेट में उपलब्ध है। बाकी काफी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।
कोई साहित्य सम्मान पुरुस्कार?
अभी तक तो कुछ खास नहीं है वैसे आजकल काफ़ी साहित्य समूह अस्तित्व में आ गए है जो समय समय पर प्रतियोगिताएं करवाते रहते है और भिन्न भिन्न प्रकार के साहित्यिक सम्मान के नाम से पुरुस्कार आरंभ कर रखे है। उनमें काफी बार प्रथम भी आएं है प्रमाण पत्र आदि मिलते रहते है। पर उन साहित्यिक प्रमाण पत्रों को मैं साहित्य सम्मान में नहीं गिनता।
पहले के लिखने और अब लिखने में कुछ बदलाव?
वैसे पाँच छह साल पहले के लिखने और अब के लिखने की बात करूं तो पहले का देख कर मुझे खुद हसीं आती है उस समय मैं अपने लिखी कविताओं को कितना अच्छा समझता था पर बिना हिन्दी साहित्य के ज्ञान एवम् नियम से रचनाओं में सिर्फ भाव होता है लय लाने के लिए नियमों का पालन तो करना ही पड़ता है। हालांकि लिखने के शुरुआती दौर में हमें खुद नहीं पता होता है की हम कैसा लिख रहें है।
गुरु कौन हैं?
अपने गुरु की बात करूं तो अभी तक तो ये शिष्य बिना गुरु के ही चल रहा है पर इस सफर में भी गुरु न होते हुए भी बहुत सारे गुरु है जैसे आदरणीय आचार्य श्री ओम नीरव जी (लखनऊ), बढ़े भाई स्वरूप श्री शिवेंद्र मिश्र ‘शिव'(लखीमपुर खीरी), आदरणीय श्री मंगल सैन डेढा ‘निर्गुर' जी, शिवेंद्र भाई एवम् आदरणीय निर्गुर जी ने समय समय पर मेरी गलतियों से मुझे अवगत कराया जिसके फलस्वरूप ही मेरी लेखनी में निरंतर सुधार हो सका।
कौन कौन सी विधा में लिखते है?
लिखने की विधा के बारे में बताऊं तो मैं विभिन्न प्रकार के छंद, गीतिका , कविताएं , ग़ज़ल , कहानी , उपन्यास इन सभी पर लिखता रहता हूं। हालांकि जीवन में कुछ समय का आभाव रहता है तत्पश्चात थोड़ा बहुत समय निकाल ही लेते है।
पढ़ने में रुचि?
पढ़ने की बात करूं तो अभी तक मैंने बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी , शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के लगभग सारे उपन्यास एवम् कहानियां, मुंशी प्रेमचंद जी का कहानियां,महादेवी वर्मा, कविरदास जी के कुछ अंश, तुलसीदास जी के कुछ अंश, नई वाली हिन्दी के लेखक दिव्य प्रकाश दुबे जी के सारे उपन्यास, सत्य व्यास जी के उपन्यास, निखिल सचान जी के उपन्यास, हर्ष रंजन जी के कुछ अंश, अंग्रेजी के लेखक चेतन भगत जी के सारे उपन्यास , सवी शर्मा जी के कुछ अंश, और थोड़े के नाम याद नहीं है। एक लाइन में बोले तो लिखने के साथ साथ पढ़ना भी पसंद है।
सादर
वैधविक
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